राजा को अपना बाग बहुत प्रिय था। उसने परदेश जाते समय राजकुमार को बाग की देख -रेख सोंप दी। राजकुमार ने माली से कहा – इन पेड़ो के पत्तों को ऐसे स्वच्छ साफ रखो कि ये चमकते रहें। इनकी रोज धुलाई करो। राजकुमार के सामने उनकी रोज धुलाई होने लगी किन्तु गमले के सभी पोधे सुखने लगे। राजा ने आकर कहा-राजकुमार! तुमने इन पौधो को क्यों सुखा डाला? राजकुमार ने कहा – मैंने तो इनकी रोज सफाई कराई। राजा ने कहा – तुमने तो वैसे ही मूर्खता की कि जैसे लोग क्रिया काण्ड करते रहते हैं, मूल आत्म-स्वभाव की तरफ देखते ही नहीं ।